इन गीत-कविताओं में ‘आंतरिक भाव-सघनता’ और एक उदास कवि लगातार मौजूद रहता है। यह कवि कई तरह स्वयं को अभिव्यक्त करता है लेकिन अपनी कविता में वह अ-शालीन नहीं होता है, उस समय भी नहीं जब वह दुनिया के ‘बाजारू-व्यवहार’ पर खिन्न या नाराज होता है।
संग्रह की 54वीं कविता ‘रहनुमा’ में नाराज होता कवि शब्द-विस्तार कर सकता था, आवेग को बाजारू भाषा के हल्के मनोरंजक पायदानों तक ला सकता था किन्तु वह ठगे गये नागरिक को इतना ही भला-बुरा कहता है:
मत अफसोस करो
निपट नंगे हो जाने का,
कि वो निकल लिए पिछले दरवाजे से
तुम्हारे रहनुमा होने का स्वांग रचकर
और तुम खर्राटे भरते रहे,
ख्वाबों में मनाते रहे उत्सव,
झूमते रहे दिवास्वप्न के उल्लास में।
ब्रजेन्द्र की इस संकलन की कविताएँ कुछ ठिठकी हुई, आज की हिन्दी कविताओं से काफी फासले पर खड़ी या कुछ उदास दिनों की छाया में बैठी है।
इन कविताओं में वे सारी संभावनाएं निहित हैं जो फिर एक कवि को यश के दीपित शिखर तक ले जा सकती हैं।
– नन्द चतुर्वेदी
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Product Description
पुस्तक का नाम : सांझ से पहले (कविताएँ)
लेखक/कवि : बृजेंद्र रेही
ISBN : 978-81-927371-0-2
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भारत में वितरण शुल्क रु.40/- अतिरिक्त
भूमिका – नंद चतुर्वेदी
पुस्तक के बारे में : अप्रैल 2013 में प्रकाशित कविता संग्रह ‘सांझ से पहले’ 1966 से 2012 की अवधि में लिखी गई कविताओं का संकलन है। यह बृजेन्द्र रेही का दूसरा कविता संग्रह है।
‘सांझ से पहले’ की कविताएँ और गीत जीवन के इंद्रधनुषी रंगों की अभिव्यक्ति है जिसमें दर्द भी है, रोमांस भी, खामोशी भी और बेबाकी भी। कविताओं में गर्माहट है, सांझ की खुशबू है और भावनाओं से भीगा आकाश भी। गीतों में उदासी है, उत्साह है और उम्मीदें भी। तो पढ़िये कविताओं और गीतों का संग्रह ‘सांझ से पहले’।
विवरण
प्रकाशक: दर्पण प्रकाशन (दर्पण वीडियो इंडिया प्रकाशन )
पहला संस्करण (1 जनवरी 2013)
पेपरबैक: 84 पृष्ठ
वजन: 180 ग्राम
आकार: 5.7″ x 8.25″
Additional Information
Weight | 180 kg |
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Dimensions | 8.25 × 5.7 cm |