…..बृजेन्द्र रेही की इन कहानियों में आया प्रेम इतना कोमल, इतना मासूम है कि हमारे अंतस को भिगो देता है | स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर आधारित ये कहानियाँ कल्पनाओं, इच्छाओं, उम्मीदों, भावनाओं और बनते-बिगड़ते रिश्तों के ताने-बाने से बुनी गई हैं जो हमें उस खूबसूरत मोड़ पर ले जाकर खड़ा कर देतीं हैं जहाँ से हमें आगे बढ़े एक युग बीत गया है परंतु जो मधु-तिक्त स्मृतियों के रूप में हमारे भीतर समाया हुआ है | कुल मिलाकर ‘बस यही तो…’ संग्रह की कहानियाँ अपने कथापन, सहज प्रस्तुति, संदेशपरकता और रोचकता के चलते पठनीय हैं | – माधव नागदा
उत्तर भारत के शास्त्रीय नृत्य ‘कथक’ से संबंधित लेखों, साक्षात्कारों, रिपोर्टों आदि का संग्रह है ‘कथक कुछ बातें, कुछ यादें’।
इस संग्रह में संकलित रचनाओं का प्रकाशन सन् 1978 से 1985 के बीच हुआ था। कुछ रचनाएं ऐसी भी है जो प्रकाशित नहीं हुई थी, उन्हें भी संग्रह में शामिल किया गया है। इनमें सुप्रसिद्ध नृत्यांगना एवं नृत्य-संरचनाकार श्रीमती कुमुदिनी लाखिया, शास्त्रीय नृत्यों के शोधकर्ता समीक्षक और विचारक डॉ. सुनील कोठारी तथा संस्कृति संरक्षक श्रीमती सुमित्रा चरतराम के साक्षात्कार हैं।
पुस्तक में प्रकाशित रचनाएं दो अलग-अलग काल खंडों को जोड़ती हैं। इन रचनाओं को पढ़कर कथक में रुचि रखने वाले रसिकों और कलाकारों को कथक नृत्य के विकास की प्रक्रिया को समझने का अवसर मिलेगा।
वे कौन-कौन साहसी थे जिन्होंने विदेशी धरती पर जाकर ब्रिटिशराज की सत्ता को उखाड़ फैंकने लिए ठोस प्रयास शुरू किये और अपनी कुर्बानी देने से भी नहीं हिचके?
वे कौन थे जिन्होंने ब्रिटेन के मूल निवासियों को भी भारत की आज़ादी के आन्दोलन में समर्थन देने के लिए तैयार कर लिया था?
कैमरे की आँख से देश-दर्शन है यह पुस्तक ‘देशाटन’। इस पुस्तक में कला, संस्कृति, इतिहास और आस्था से जुड़े पर्यटक स्थलों की झाँकी भी है और ऐतिहासिक तथा पुरातात्त्विक केन्द्रों की सैर भी।
यह पुस्तक वृत्तचित्रों के आलेखों का एक संग्रह हैं। आलेखों के साथ फोटोज़ और इमेजेज़ को भी प्रकाशित किया गया है ताकि विजुअल प्रभाव बना रहे।