…..बृजेन्द्र रेही की इन कहानियों में आया प्रेम इतना कोमल, इतना मासूम है कि हमारे अंतस को भिगो देता है | स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर आधारित ये कहानियाँ कल्पनाओं, इच्छाओं, उम्मीदों, भावनाओं और बनते-बिगड़ते रिश्तों के ताने-बाने से बुनी गई हैं जो हमें उस खूबसूरत मोड़ पर ले जाकर खड़ा कर देतीं हैं जहाँ से हमें आगे बढ़े एक युग बीत गया है परंतु जो मधु-तिक्त स्मृतियों के रूप में हमारे भीतर समाया हुआ है | कुल मिलाकर ‘बस यही तो…’ संग्रह की कहानियाँ अपने कथापन, सहज प्रस्तुति, संदेशपरकता और रोचकता के चलते पठनीय हैं | – माधव नागदा